दुःखी तो हम रोज़ होते हैं
लेकिन ये दुःख जब
ज़्यादा बढ़ जाता है तब
ज़ख्मों से खून की जगह
शब्द टपकने लगते हैं।
दुःखी तो हम रोज़ होते हैं
लेकिन ये दुःख जब
ज़्यादा बढ़ जाता है तब
ज़ख्मों से खून की जगह
शब्द टपकने लगते हैं।
मेरी हर नज़्म का सार तुझ से है
तू ही अध्याय और पर्याय तू ही है
कैसे झुठला दूँ तुझे तू ही बसा है
सँवार लूँ तुझे अलंकारों से कर लूँ
सुसज्जित और गुनगुना हर घड़ी लूँ
अगर परछाईंयाँ बोल सकती तो
सबसे पहले आकर मेरी परछाईं
मुझसे कहती कि हिम्मत मत हार
चल तू दिन रात चल कार्य पथ पर
अडिग रह मंज़िल की ओर हो अग्रसर
मार्ग से तू कभी मत भटक
जो हो रहा वो ठीक, नहीं हो रहा और भी ठीक
व्यर्थ चिंता ना कर भ्रम ना कर
ख़ुदा और ख़ुद पर विश्वास कर
छोड़ा सबने तेरा संग मैं ना कभी छोड़ूंगी
रहूंगी हर पल हर समय लग के तेरे अंग
एक पल ना गँवा संताप ना कर
जो बीत गया सो बीत गया
आगे का सफ़र बेझिझक तू तय कर
ग़र कोई नहीं है तेरा अपना यहाँ
मैं हूँ तेरे साथ, तू जहाँ मैं वहाँ
इतने लोगों की भीड़ में जाने कितने चले गए
छोड़ कर गए सो गए दिल भी हमारा तोड़ गए
जाने वाला चला जाता है
लेकिन दूसरे लोगों के रास्ते बंद कर जाता है
जाते जाते विश्वास भी ले जाता हैं और
खत्म कर जाता हैं वो उम्मीदें जो कभी
हम ने उनसे लगाई थी और
अब दुख नहीं होता किसी के जाने का
हर जाने वाले को देख कर सुकून मिलता है कि
चलो अच्छा है चला गया,
एक दिन तो इसे भी जाना ही था
हर बार बस धोखा देने और दिल तोड़ने का
तरीका बदल जाता है
लेकिन हमें भी भगवान ने ऐसा बनाया है कि
ख़ुद ही ख़ुद के टुकड़े जोड़ कर
नये सिरे से नये रूप में दिल जोड़कर खड़े हो जाते हैं
कि आओ अभी हमने हिम्मत नहीं हारी है
और बताओ अब किसकी बारी है.
टूटे दिल का नाता है टूटे दिल और उसकी व्यथा से
दर्द टपकता है उसकी दिखती रिसती दरारों से
जो भर नहीं सकती किसी दवा-ओ-मरहम से
दर्द कोई बयाँ नहीं कर सकता कहे या कलम से
टूटे दिल की व्यथा समझेगा वही जो ख़ुद टूटा हो दिल से
ना थक कर बैठना है
ना उदासी में डूबना है
हिम्मत नहीं हारना है
लाख तूफ़ां आयें बेशक़
जज़्बा है ऐसा कि बस
अब कुछ कर दिखाना है
आधा चाँद मेरा आधा तुम्हारा
आधा इश्क़ मेरा आधा तुम्हारा
बगिया के आधे फूल मेरे आधे तुम्हारे
आधी खुशियाँ मेरी आधी तुम्हारी
आधे दुःख मेरे आधे तुम्हारे
आधी रचना मेरी आधी तुम्हारी
आधी कोशिश मेरी आधी तुम्हारी
आधी प्यास मेरी आधी तुम्हारी
आधी चाहत मेरी आधी तुम्हारी
आधी तड़प मेरी आधी तुम्हारी
आधी ज़िंदगी मेरी आधी तुम्हारी
देख लो तुम, बांटा है सब मैंने आधा आधा
जो मिले हम तभी होगा सब पूरा
नहीं तो रहेगा ज़िंदगी भर अधूरा
फ़िर आधी मैं और आधे तुम
इतना दु:ख मिला हमें कि धैर्य खो गए
सुख की प्रतीक्षा में अधीर हो गए l
सहारा देने का वचन तो दिया कुछ लोगों ने
पर देकर वचन वे लौटे नहीं घर जो गए l
मन में तो जगी आशा कई बार पर
बुझ गए दीये सब आशाओं के
तो फिर से हम वही पर सो गए
सुख की प्रतीक्षा में .......l
जाने कहाँ से शुरूआत हुई इनकी
जाने कहाँ खतम होंगी
बचपन में ना सुना था नाम जिनका
जाने कब ये मेरे पास आती गयीं
एक एक करके अनंत हो गयी
और जिनका अंत ना हुआ
वो चिंताएँ हो गयीं l
आज फिर एक बार उसी ख़ामोशी ने
उसी ख़ामोशी से मेरा दामन पकड़ा
शायद शब्दों की कमी पड़ गयी
तुम्हें समझाने को
तुम चुप रहकर भी कुछ कह गए
उसी ख़ामोशी में
एक पल के लिए ख़ामोश हो गयी
भरी ज़िंदगी उस ख़ामोशी में l
तेरी यादों के दीये चाँद हाथों में लिए
सोचते रहे रात भर
बिना पलक झपकाए एक पल भर
बैठा हूँ तेरी राह ए गुज़र पर
तू आये शायद इधर
निग़ाहें ठहरी है उसी रास्ते पर
तुझे दिल नहीं चाँद चाहिए पर
तेरी नज़र टिकी है उस पर
चाँद की चाहत है तुझे
अजब तेरी चाहत है भंवर
तू दागदार चाँद की दीवानी है मग़र
तुझे पाक साफ़ दिल की नहीं कोई क़दर l
दिल के आईने को फूलों से सजा रखा है
दिल में तेरी ही सूरत मूरत को बिठा रखा है
तू माने या ना माने तेरे लिए ही अब तक बचा रखा है
तूने भी ना जाने क्या ठान रखा है किसके लिए
अपना दिल अभी तक अपने पास छिपा कर रखा है
कुछ डरी हुई सी आहें हैं
कुछ सहमी हुई सी चाहतें हैं
कैसे कहें कि तुमसे कितनी मोहब्बतें हैं
रिश्ता पलों का नहीं जन्मों का है तुमसे
रिश्ता अधूरा रहने की आहें हैं
रात भर नींद नहीं आती और जलती आहें हैं
डर है कहीं खो ना दूँ तुम्हें
सहमती हूँ कैसे रहूंगी तुम बिन
रात के काले गहरे अंधियारे में
जब सिसकती हैं ये आहें
आवाज़ नहीं करती लेकिन
ये कलेज़ा चीर देती हैं रात का
कैसे बताएँ तुम्हें कि कितने
खंज़र जिग़र के पार होते हैं
किस से कहें किस से नहीं यही उहापोह आहें हैं
रिश्ता जन्मों का नहीं तोड़ना है
कैसे कहूँ तुमसे कितनी चाहतें हैं
पूरी नहीं हुई जो चाहतें वही तो मेरी आहें हैं
अंधेरी तन्हा रातों में जब
आँखें तकिया भिगोती हैं
हाथ अनायास ही
माफ़ी के लिए उठ जाते हैं
और दिल गिड़गिड़ाता है
और कहता है कि माफ़ कर दो
जाने कितने दिल तोड़े
और पाँव तले रौंदे होंगे
जाने कितने दिल तोड़े
कितनी आत्मा दुखायी होंगी
जो आज ये सज़ा मुकरर्र
की है उसने मेरे लिए!