सोमवार, 25 मई 2009

मेरी ज़िन्दगी का सवाल हे.....

वो नज़र से दूर तो हे मगर, ये अजीब सूरते हाल हे
हम वक्त पेशे नज़र भी हे, न फिराक हे न मिसाल हे
ये तुम्हारी तलख नवैयाँ, कोई और सह के दिखा तो दे
ये जो मुझमे तुझमे निबाह हे, मेरे हौसले का कमाल हे
जो गुज़र रही हे गुज़र दो, न बुरा कहो न गिला करो
जो तुम्हारा हाल हे दोस्तों, वही सारे शहर का हाल हे
तेरे मशवरे के कुलूस पैर, मुझे तरके इश्क कुबूल हे
मगर एक बात हे हम नशीं, मेरी ज़िन्दगी का सवाल हे