बुधवार, 1 जुलाई 2009

तुम ही से मेरा चाँद खिले..........

तुम ही से मेरा चाँद खिले
तुम ही से चांदनी मिले
तुम ही से सुबह हो मेरी

तुम ही से मेरी शाम ढले
तुम ही से महके हर कली

तुम ही से हर फूल खिले
तुम ही तो अपने हो मेरे

तुम ही से हैं सुबह गिले
तुम ही तो चाहत हो मेरी

तुम ही से मेरा दिल मिले
तुम ही से ज़िन्दगी है मेरी

तुम ही से हैं यह सिलसिले
जब तुझ ही से मुझे सुब कुछ मिले

फिर क्यों न मुझ को तुम मिले?

साया बनके साथ चलूँ ये अरमान है..

साया बनके साथ चलूँ ये अरमान है

कुछ तुम्हारी कुछ अपनी दिल की कहूँ ये अरमान है,

दिल की वादियों में तुम्हारी यूँ महक जाऊँ

कि हर फूल में तुम्हें मेरी ही खुशबू आए ये मेरा अरमान है

जब प्यार की बात अधूरी हो....

जब प्यार की बात अधूरी हो..
जब बीच में थोङी दूरी हो..
जब मिलना बहुत ज़रूरी हो…
पर मिलने में मजबूरी हो..
तुम दिल में याद जगा लेना..
कुछ प्यार के दीप जला लेना..
जब मुझ से मिलने आ न सको..
और याद से बाहर जा न सको…

काश वो पल संग बिताए न होते.....

काश वो पल संग बिताए न होते,
जिनको याद कर आज यह आंसू आए न होते,
इस तरह दूर जाना ही था,
तो इतनी गहराई से दिल में समाये न होते....

चाहा था उस को रूह की गहराइयों के साथ.....

चाहा था उस को रूह की गहराइयों के साथ..
जिंदा हैं अपनी जान की तनहाइयों के साथ..
रोका नही उस को बिछङने के वक्त भी..
अपनी वफ़ा पे नाज़ था सचाईयों के साथ..

एक दिल मेरे दिल को ज़ख्म दे गया....

एक दिल मेरे दिल को ज़ख्म दे गया
जिंदगी भर जीने की कसम दे गया ।
लाखों फूलोँ में से एक फूल चुना हम ने
जो कांटो से भी गहरी चुभन दे गया ।

समुंदर की गहराईयों में उतर के तो देखो.........

समुंदर की गहराईयों में उतर के तो देखो

एक और नए इत्तेफक से गुज़र के तो देखो
लहरों की आवाज़ भला कहती है क्या?

कभी उनमें जाकर सिमट कर तो देखो
साहिल के किनारे पर खामोशी है बहुत

दिल की धड़कन से ये पूछ कर तो देखो
वो जो एक शख्श तन्हा दिखाई देता है

कहो उस से जाकर ज़रा संभल के तो देखो.