सबसे अलग सबसे जुदा थी
मौन अलग और बोल अलग
ख़ुद की हर बात पे फ़िदा थी
तुम नहीं समझोगे
तुमने देखा ही कहाँ
कभी मेरी तरफ़ मुड़कर
देखते तो पाते मुझे अलग
औरों की तरह मुझे भी
ग़लत समझ लिया तुमने
अब वक़्त नहीं है
समझने समझाने का
अब जियो तुम अलग
और मैं अलग
सबसे अलग सबसे जुदा थी
मौन अलग और बोल अलग
ख़ुद की हर बात पे फ़िदा थी
तुम नहीं समझोगे
तुमने देखा ही कहाँ
कभी मेरी तरफ़ मुड़कर
देखते तो पाते मुझे अलग
औरों की तरह मुझे भी
ग़लत समझ लिया तुमने
अब वक़्त नहीं है
समझने समझाने का
अब जियो तुम अलग
और मैं अलग
कहना नहीं किसी से
मांगना नहीं किसी से
साथ मांगेंगे तो सौदा करेंगे
बिताए पलों का हिसाब करेंगे
गले लग कर गला काटने का रिवाज़ है
बच कर रहना हर बगल और हर ज़ुबान में
छुरी रखने का रिवाज़ है
अकेले ही चलो तो ज़िंदगी एक साज़ है
तुम्हें छूकर देखना है
मुझे ये मोजिज़ा देखना है
क्यों तुझे पाकर इंसान
अक्सर अपने होश खो देता है
तुम्हारी बातें मेरे दिल पर खंज़र से वार करती हैं
घाव बेशक़ गहरे हों मग़र नासूर बना देती हैं
ज़िंदगी कुछ ऐसे दौर में आ गयी है कि
गालों से लुढ़कते आँसुओं को छिपाना है
पानी भले ही आँखों में तैर जाए लेकिन
ध्यान रहे बाहर ना आने पाए
इन्हें समझा दिया है मैंने कि भीड़ में नहीं
अकेले में ही मिलने आया करो
कोई आँख केआँसू पी जाता
ऐसी मेरी तकदीर नहीं है
तक़दीर बड़ी किस्मत वालों की हुआ करती है
तब ना दिल टूटता ना आँख रोती
ये टूटी दिखती औरतें अंदर से बहुत मजबूत होती हैं l
इनकी सहनशीलता औरों से अद्द्भुत अद्वितीय होती है l
मन में उठते बैठते भावों को ढकने में ये माहिर होती हैं l
हरदम हरपल टूटते ख्वाबों को दिल में ही दफ़न करती हैं l
एक कब्रगाह मन में और बाहर चमन रखती हैं l
बाहर से दिखती तितली जैसी और अंदर से लाश ढोती हैं l
कभी थी पापा की लाड़ली अब मनहूस कहलाती हैं l
कभी पलकों पर रहने वाली अब रोज़ पीटी जाती हैं l
महलों में रहने वाली अब रोज़ घर से निकाली जाती हैं l
खुद कभी राम बन ना सकोगे मुझमें सीता ढूंढी जाती हैं l
चलती रहेगी ऐसे ही क्यों किसी से ना ये बदली जाती है l
कितनी ही आई और चली गयी ये कहानी यूँ ही चलती जाती है l
एक रोज़ ज़िंदगी की अदालत में तेरी पेशी होगी
तेरी उसकी आमने सामने मुलाक़ात होगी
कर्म का लेखा जोखा तेरा होगा सज़ा उसकी होगी
गुनाह तेरे होंगे तो सज़ा भी तुझे झेलनी होगी
बिन मुहूर्त के अदालत की तारीख मुक़र्रर होगी
वकालतनामा भी दे ना सकोगे सिर्फ पेशी तुम्हारी होगी
सवाल जवाब तुमसे होंगे मर्ज़ी उस खुदा की होगी
वक़्त है संभल जा वरना देरी भी जल्दी में तब्दील होगी
ज़िंदगी की अदालत में जल्दी ही तेरी पेशी होगी