बुधवार, 1 जुलाई 2009

चाहा था उस को रूह की गहराइयों के साथ.....

चाहा था उस को रूह की गहराइयों के साथ..
जिंदा हैं अपनी जान की तनहाइयों के साथ..
रोका नही उस को बिछङने के वक्त भी..
अपनी वफ़ा पे नाज़ था सचाईयों के साथ..

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