सोमवार, 24 जनवरी 2022

" ख़ामोशी ओढ़ ली "

कभी कभी ख़ामोशी ओढ़ लेना अच्छा होता है

शिकायत करें भी तो किस से, कोई नहीं सुनता है


डूब गए बीच भँवर में हम करके तुमसे प्यार

दिखा कर स्वप्न सलोने तुम हो गए इक बयार


हृदय की पीड़ा, विरह का दर्द, एक टूटा दिल ही जाने

बाक़ी किसी को फ़िक्र नहीं, रहते बन संग सब अंजाने


हृदय की खामोश चीखें कौन सुने किसे दिखाएँ

दर्द अनंत असीम सीमाओं के पार, कैसे बहलाएं


ख़ामोश निग़ाहें देखती हैं पूछती अब कुछ नहीं

एक ख़ामोशी ओढ़ ली उसने कहती अब कुछ नहीं


" रुकना तेरा काम नहीं, चलना तेरी शान "

माना कि रात काली है, मग़र अनगिनत सितारों वाली है

ढलने वाली है रात, क्योंकि सूरज की बारी आनेवाली है


माना कि रास्ते कठिन हैं मग़र मंज़िल आने वाली है

निराश ना हो परेशान ना हो, सफलता मिलने वाली है


परीक्षा की घड़ी बहुत सख़्त और मंज़िल बेहद करीब है

हौसला और हिम्मत सबकी जेब है, नहीं कोई ग़रीब है


सफ़र लंबा और राह विषम, तुम्हें कभी घबराना नहीं है

चलते रहो राह निरंतर धीरे ही सही, लड़खड़ाना नहीं है


ये रात अंधेरी है मगर जुगनुओं वाली है, डरना नहीं है

इस छोटी रोशनी में तुझे चलते रहना है, रुकना नहीं है


" अधूरी ख्वाहिशें "

अधूरी ख्वाहिशें लेकर कौन जीना चाहता है

मग़र अधूरी ख्वाहिशें लेकर हर कोई जी रहा है


ये अधूरापन ना जीने देता है ना मरने देता है

कैसे बयाँ करें, दिल में एक हुजूम सा उठता है


अधूरी कसक से अक्सर दिल कराह उठता है

ना चैन कहीं ये पाता है, बस बेचैन ही रहता है


दिल दिमाग़ में अधूरेपन को हर कोई ढो रहा है

ना बता पा रहा है ना ख़ुशी से चल पा रहा है