कभी कभी ख़ामोशी ओढ़ लेना अच्छा होता है
शिकायत करें भी तो किस से, कोई नहीं सुनता है
डूब गए बीच भँवर में हम करके तुमसे प्यार
दिखा कर स्वप्न सलोने तुम हो गए इक बयार
हृदय की पीड़ा, विरह का दर्द, एक टूटा दिल ही जाने
बाक़ी किसी को फ़िक्र नहीं, रहते बन संग सब अंजाने
हृदय की खामोश चीखें कौन सुने किसे दिखाएँ
दर्द अनंत असीम सीमाओं के पार, कैसे बहलाएं
ख़ामोश निग़ाहें देखती हैं पूछती अब कुछ नहीं
एक ख़ामोशी ओढ़ ली उसने कहती अब कुछ नहीं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें