अधूरी ख्वाहिशें लेकर कौन जीना चाहता है
मग़र अधूरी ख्वाहिशें लेकर हर कोई जी रहा है
ये अधूरापन ना जीने देता है ना मरने देता है
कैसे बयाँ करें, दिल में एक हुजूम सा उठता है
अधूरी कसक से अक्सर दिल कराह उठता है
ना चैन कहीं ये पाता है, बस बेचैन ही रहता है
दिल दिमाग़ में अधूरेपन को हर कोई ढो रहा है
ना बता पा रहा है ना ख़ुशी से चल पा रहा है
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