रविवार, 27 जून 2021

आँख केआँसू

ज़िंदगी कुछ ऐसे दौर में आ गयी है कि

गालों से लुढ़कते आँसुओं को छिपाना है

पानी भले ही आँखों में तैर जाए लेकिन

ध्यान रहे बाहर ना आने पाए

इन्हें समझा दिया है मैंने कि भीड़ में नहीं

अकेले में ही मिलने आया करो

कोई आँख केआँसू  पी जाता

ऐसी मेरी तकदीर नहीं है 

तक़दीर बड़ी किस्मत वालों की हुआ करती है

तब ना दिल टूटता ना आँख रोती

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