रविवार, 27 जून 2021

ज़िंदगी की अदालत

एक रोज़ ज़िंदगी की अदालत में तेरी पेशी होगी

तेरी उसकी आमने सामने मुलाक़ात होगी

कर्म का लेखा जोखा तेरा होगा सज़ा उसकी होगी

गुनाह तेरे होंगे तो सज़ा भी तुझे झेलनी होगी

बिन मुहूर्त के अदालत की तारीख मुक़र्रर होगी

वकालतनामा भी दे ना सकोगे सिर्फ पेशी तुम्हारी होगी

सवाल जवाब तुमसे होंगे मर्ज़ी उस खुदा की होगी

वक़्त है संभल जा वरना देरी भी जल्दी में तब्दील होगी

ज़िंदगी की अदालत में जल्दी ही तेरी पेशी होगी

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