एक रोज़ ज़िंदगी की अदालत में तेरी पेशी होगी
तेरी उसकी आमने सामने मुलाक़ात होगी
कर्म का लेखा जोखा तेरा होगा सज़ा उसकी होगी
गुनाह तेरे होंगे तो सज़ा भी तुझे झेलनी होगी
बिन मुहूर्त के अदालत की तारीख मुक़र्रर होगी
वकालतनामा भी दे ना सकोगे सिर्फ पेशी तुम्हारी होगी
सवाल जवाब तुमसे होंगे मर्ज़ी उस खुदा की होगी
वक़्त है संभल जा वरना देरी भी जल्दी में तब्दील होगी
ज़िंदगी की अदालत में जल्दी ही तेरी पेशी होगी
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