सोमवार, 5 जुलाई 2021

तुम अलग मैं अलग

सबसे अलग सबसे जुदा थी

मौन अलग और बोल अलग

ख़ुद की हर बात पे फ़िदा थी

तुम नहीं समझोगे

तुमने देखा ही कहाँ

कभी मेरी तरफ़ मुड़कर

देखते तो पाते मुझे अलग

औरों की तरह मुझे भी

ग़लत समझ लिया तुमने

अब वक़्त नहीं है

समझने समझाने का

अब जियो तुम अलग

और मैं अलग

5 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बहुत ही सुंदर अल्फाज है तेरी
दर्द से भरा अल्फाज है कि तेरी
मन की व्यथा उगल दी है तुमने
शब्द की धनि बात है तेरी

Unknown ने कहा…

नाइस

alok...dil se!! ने कहा…

तुम्हें ढूंढते हुए your quotes से यहां तक चला आया।😊 बेहतर लिखा है..👌

बेनामी ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
Sudha ने कहा…

Bahut Shukriya aapka :-)