शुक्रवार, 10 दिसंबर 2021

" ख़ुशी का इज़हार "

आज इतने समय अंतराल के बाद तुमसे मिली

कैसे कहूँ, कैसे ख़ुशी का इज़हार करूँ अपनी


ज़माने की सुनती तो तुमसे कभी ना मिल पाती

अपने दिल की सुनी और फ़िर एक बार तुमसे मिली


स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि तुमसे फ़िर कभी मिलना होगा

ऐसे और इस तरह, ज़िंदगी में कभी तुमसे फ़िर सामना होगा


क्यूँ ना मिलती तुमसे मैं, मैं अर्धांगिनी तुम अर्धांग मेरे

दुनिया कुछ भी कहे लेकिन मैं हूँ तुम्हारी और तुम मेरे


क्या हाल कर लिया है, ऐसे भी कोई ख़ुद को सज़ा देता है

झुकी कमर, कलमों में सफ़ेदी, चेहरा भी थका जान पड़ता है


तुम परेशान ना हो, मैं आ गयी हूँ, फ़िर संभाल लूँगी

तुम्हारा मेरा साथ रहे, सारा दुःख अपनी झोली में समेट लूँगी


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