तेरी दस्तक से ज़िन्दगी जीने लगा हूँ,
जाम खुशियों के अक्सर मैं पीने लगा हूँ,
बरसोगे मोहब्बत का बादल बनकर,
पल पल मैं सपनों में खोने लगा हूँ....
बुधवार, 8 अप्रैल 2009
रविवार, 5 अप्रैल 2009
ज़िन्दगी को जीना चाहता हूँ...
तेरी आँखों के आंसुओं को पीना चाहता हूँ,
तेरे हर ज़ख्म को सीना चाहता हूँ,
तेरे आने से सांसे चल पड़ी हैं,
मैं अब ज़िन्दगी को जीना चाहता हूँ...
तेरे हर ज़ख्म को सीना चाहता हूँ,
तेरे आने से सांसे चल पड़ी हैं,
मैं अब ज़िन्दगी को जीना चाहता हूँ...
गुरुवार, 2 अप्रैल 2009
एक पत्थर को देखा.....
"एक पत्थर को देखा.....,
मैंने करीब जाकर.
समझना चाहा जो उसकी ज़िन्दगी को,
बहुत दुःख हुआ मुझे,
पत्थर को तन्हा पाकर."
मैंने करीब जाकर.
समझना चाहा जो उसकी ज़िन्दगी को,
बहुत दुःख हुआ मुझे,
पत्थर को तन्हा पाकर."
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