शुक्रवार, 25 जून 2021

मेरा चाँद

तुम ही से मेरा चाँद खिले
तुम ही से चांदनी मिले तुम ही से सुबह हो मेरी
तुम ही से मेरी शाम ढले तुम ही से महके हर कलि
तुम ही से हर फूल खिले तुम ही तो अपने हो मेरे
तुम ही से हैं सुबह गिले तुम ही तो चाहत हो मेरी
तुम ही से मेरा दिल मिले तुम ही से ज़िन्दगी है मेरी
तुम ही से हैं यह सिलसिले जब तुझ ही से मुझे सुब कुछ मिले
फिर कियों मुझ को तुम मिले?

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