किसी से बेसबब उलझा नही था
वो पहले तो कभी ऐसा नही था
वो फिर भी याद रहना चाहता था
मगर में भी उसे भुला नही था
उसे भी रास्तों का सब पता था
सफ़र मेरा भी ये पहला नही था
बहुत आला था उस का ज़र्फ़ लेकिन
वो मेरी जात को भी समझा नही था
में उसको दोस्त रखना चाहता था
मगर वो आप ही माना नहीं था
वो जैसे बेरुखी से चल पडा था
में इतना भी गया गुजरा नहीं था
उसे में क्यूँ बुरा ठहराऊ यारों
वो अच्छा था, वक़्त मेरा नहीं था..!!!
शनिवार, 27 मार्च 2010
न जाने ढूँढते हो क्या मेरी वीरान आँखों में
न जाने ढूँढते हो क्या मेरी वीरान आँखों में
छुपा रखे हम ने तो कई तूफ़ान आँखों में
कहाँ वोह शोखियाँ पहले सी, अब कुछ भी नहीं बाकी
चले आये हो तुम क्या खोजने इन बे-जान आँखों में
किसी का हाथ लेकर हाथ में जब तुम मिले हम से
तो कैसे टूट के बिखरा था मेरा मान आँखों में
न समझो चुप हैं तो तुम से कोई शिकवा नहीं बाकी
हम अपने दर्द की नहीं रखते कोई पहचान आँखों में
मिले थे बाद मुद्दत के हमें तुम अजनबी बन कर
तो कैसे दर्द न उठता मेरी हैरान आँखों में
नहीं अब फिर से कोई राबता रखने से कुछ हासिल
के अब दफना दिए हम ने सभी अरमान आँखों में…!!!
छुपा रखे हम ने तो कई तूफ़ान आँखों में
कहाँ वोह शोखियाँ पहले सी, अब कुछ भी नहीं बाकी
चले आये हो तुम क्या खोजने इन बे-जान आँखों में
किसी का हाथ लेकर हाथ में जब तुम मिले हम से
तो कैसे टूट के बिखरा था मेरा मान आँखों में
न समझो चुप हैं तो तुम से कोई शिकवा नहीं बाकी
हम अपने दर्द की नहीं रखते कोई पहचान आँखों में
मिले थे बाद मुद्दत के हमें तुम अजनबी बन कर
तो कैसे दर्द न उठता मेरी हैरान आँखों में
नहीं अब फिर से कोई राबता रखने से कुछ हासिल
के अब दफना दिए हम ने सभी अरमान आँखों में…!!!
बुधवार, 1 जुलाई 2009
तुम ही से मेरा चाँद खिले..........
तुम ही से मेरा चाँद खिले
तुम ही से चांदनी मिले
तुम ही से सुबह हो मेरी
तुम ही से मेरी शाम ढले
तुम ही से महके हर कली
तुम ही से हर फूल खिले
तुम ही तो अपने हो मेरे
तुम ही से हैं सुबह गिले
तुम ही तो चाहत हो मेरी
तुम ही से मेरा दिल मिले
तुम ही से ज़िन्दगी है मेरी
तुम ही से हैं यह सिलसिले
जब तुझ ही से मुझे सुब कुछ मिले
फिर क्यों न मुझ को तुम मिले?
तुम ही से चांदनी मिले
तुम ही से सुबह हो मेरी
तुम ही से मेरी शाम ढले
तुम ही से महके हर कली
तुम ही से हर फूल खिले
तुम ही तो अपने हो मेरे
तुम ही से हैं सुबह गिले
तुम ही तो चाहत हो मेरी
तुम ही से मेरा दिल मिले
तुम ही से ज़िन्दगी है मेरी
तुम ही से हैं यह सिलसिले
जब तुझ ही से मुझे सुब कुछ मिले
फिर क्यों न मुझ को तुम मिले?
साया बनके साथ चलूँ ये अरमान है..
साया बनके साथ चलूँ ये अरमान है
कुछ तुम्हारी कुछ अपनी दिल की कहूँ ये अरमान है,
दिल की वादियों में तुम्हारी यूँ महक जाऊँ
कि हर फूल में तुम्हें मेरी ही खुशबू आए ये मेरा अरमान है
जब प्यार की बात अधूरी हो....
जब प्यार की बात अधूरी हो..
जब बीच में थोङी दूरी हो..
जब मिलना बहुत ज़रूरी हो…
पर मिलने में मजबूरी हो..
तुम दिल में याद जगा लेना..
कुछ प्यार के दीप जला लेना..
जब मुझ से मिलने आ न सको..
और याद से बाहर जा न सको…
जब बीच में थोङी दूरी हो..
जब मिलना बहुत ज़रूरी हो…
पर मिलने में मजबूरी हो..
तुम दिल में याद जगा लेना..
कुछ प्यार के दीप जला लेना..
जब मुझ से मिलने आ न सको..
और याद से बाहर जा न सको…
काश वो पल संग बिताए न होते.....
काश वो पल संग बिताए न होते,
जिनको याद कर आज यह आंसू आए न होते,
इस तरह दूर जाना ही था,
तो इतनी गहराई से दिल में समाये न होते....
जिनको याद कर आज यह आंसू आए न होते,
इस तरह दूर जाना ही था,
तो इतनी गहराई से दिल में समाये न होते....
चाहा था उस को रूह की गहराइयों के साथ.....
चाहा था उस को रूह की गहराइयों के साथ..
जिंदा हैं अपनी जान की तनहाइयों के साथ..
रोका नही उस को बिछङने के वक्त भी..
अपनी वफ़ा पे नाज़ था सचाईयों के साथ..
जिंदा हैं अपनी जान की तनहाइयों के साथ..
रोका नही उस को बिछङने के वक्त भी..
अपनी वफ़ा पे नाज़ था सचाईयों के साथ..
एक दिल मेरे दिल को ज़ख्म दे गया....
एक दिल मेरे दिल को ज़ख्म दे गया
जिंदगी भर जीने की कसम दे गया ।
लाखों फूलोँ में से एक फूल चुना हम ने
जो कांटो से भी गहरी चुभन दे गया ।
जिंदगी भर जीने की कसम दे गया ।
लाखों फूलोँ में से एक फूल चुना हम ने
जो कांटो से भी गहरी चुभन दे गया ।
समुंदर की गहराईयों में उतर के तो देखो.........
समुंदर की गहराईयों में उतर के तो देखो
एक और नए इत्तेफक से गुज़र के तो देखो
लहरों की आवाज़ भला कहती है क्या?
कभी उनमें जाकर सिमट कर तो देखो
साहिल के किनारे पर खामोशी है बहुत
दिल की धड़कन से ये पूछ कर तो देखो
वो जो एक शख्श तन्हा दिखाई देता है
कहो उस से जाकर ज़रा संभल के तो देखो.
मंगलवार, 30 जून 2009
जिंदा ही मार गए..
दिलों से खेलने का हुनर हमें नहीं आता
इसीलिए इश्क की बाज़ी हम हार गए
मेरी ज़िन्दगी से शायद उन्हें बहुत प्यार था
इसीलिए मुझे जिंदा ही मार गए..
इसीलिए इश्क की बाज़ी हम हार गए
मेरी ज़िन्दगी से शायद उन्हें बहुत प्यार था
इसीलिए मुझे जिंदा ही मार गए..
सोमवार, 29 जून 2009
तन्हाइयों में मुस्कुराना इश्क है.....
तन्हाइयों में मुस्कुराना इश्क है,
एक बात को सब से छुपाना इश्क है,
यूँ तो नींद नही आती हमें रात भर,
मगर सोते सोते जागना और
जागते जागते सोना इश्क है।
एक बात को सब से छुपाना इश्क है,
यूँ तो नींद नही आती हमें रात भर,
मगर सोते सोते जागना और
जागते जागते सोना इश्क है।
दिलों से खेलने का हुनर हमें नहीं
दिलों से खेलने का हुनर हमें नहीं,
आता इसीलिए इश्क की बाज़ी हम,
गए मेरी ज़िन्दगी से शायद उन्हें बहुत,
प्यार था इसीलिए मुझे जिंदा ही मार ।
आता इसीलिए इश्क की बाज़ी हम,
गए मेरी ज़िन्दगी से शायद उन्हें बहुत,
प्यार था इसीलिए मुझे जिंदा ही मार ।
जब कोई ख्याल दिल से टकराता है
जब कोई ख्याल दिल से टकराता है ॥
दिल ना चाह कर भी, खामोश रह जाता है ॥
कोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता है॥
कोई कुछ ना कहकर भी, सब बोल जाता है ॥
दिल ना चाह कर भी, खामोश रह जाता है ॥
कोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता है॥
कोई कुछ ना कहकर भी, सब बोल जाता है ॥
सोमवार, 25 मई 2009
मेरी ज़िन्दगी का सवाल हे.....
वो नज़र से दूर तो हे मगर, ये अजीब सूरते हाल हे
हम वक्त पेशे नज़र भी हे, न फिराक हे न मिसाल हे
ये तुम्हारी तलख नवैयाँ, कोई और सह के दिखा तो दे
ये जो मुझमे तुझमे निबाह हे, मेरे हौसले का कमाल हे
जो गुज़र रही हे गुज़र दो, न बुरा कहो न गिला करो
जो तुम्हारा हाल हे दोस्तों, वही सारे शहर का हाल हे
तेरे मशवरे के कुलूस पैर, मुझे तरके इश्क कुबूल हे
मगर एक बात हे हम नशीं, मेरी ज़िन्दगी का सवाल हे
हम वक्त पेशे नज़र भी हे, न फिराक हे न मिसाल हे
ये तुम्हारी तलख नवैयाँ, कोई और सह के दिखा तो दे
ये जो मुझमे तुझमे निबाह हे, मेरे हौसले का कमाल हे
जो गुज़र रही हे गुज़र दो, न बुरा कहो न गिला करो
जो तुम्हारा हाल हे दोस्तों, वही सारे शहर का हाल हे
तेरे मशवरे के कुलूस पैर, मुझे तरके इश्क कुबूल हे
मगर एक बात हे हम नशीं, मेरी ज़िन्दगी का सवाल हे
रविवार, 19 अप्रैल 2009
आए नज़र बस तू...
मौसम मौसम तेरी चाहत का सन्देसा हे,
आहट आहट तेरे आने का अन्देसा हे,
हर खुशबू से आती हे अब तेरी ही खुशबू,
मंज़र मंज़र आलम आलम आए नज़र बस तू...
आती जाती सांसों में हे दर्द भरी हलचल,
कटे से नहीं कटता हे ये तन्हाई का पल,
पागल पागल रहती हे मेरी तो हर धड़कन,
बस तेरे दीदार का छाया मुझपर पागलपन...
आहट आहट तेरे आने का अन्देसा हे,
हर खुशबू से आती हे अब तेरी ही खुशबू,
मंज़र मंज़र आलम आलम आए नज़र बस तू...
आती जाती सांसों में हे दर्द भरी हलचल,
कटे से नहीं कटता हे ये तन्हाई का पल,
पागल पागल रहती हे मेरी तो हर धड़कन,
बस तेरे दीदार का छाया मुझपर पागलपन...
सदस्यता लें
संदेश (Atom)