कैसे कह दूँ कि आज भी तुमसे प्यार नहीं है,
इन आँखों को अब भी तुम्हारा इंतज़ार नहीं है l
बँधी हूँ तुमसे तो बन्धन हमेशा रहेगा,
प्यार है तुमसे तो संग भी सदा रहेगा l
साक्षात् में तुम मेरे पास नहीं,
पर आत्मा से तुम कभी अलग नहीं l
अंश है तुम्हारा मेरे पास,
फिर क्यों ना होगी तुमसे मिलन की आस l
तुम बिन उदासी है हर तरफ इधर,
इक उम्मीद दिखती है देखती हूँ मुड़कर जिधर l
दिख जाए शायद कहीं तुम्हारी एक झलक,
नहीं पाती जब तुम्हें कहीं, बैठ जाती हूँ इक तरफ l
जन्मों का पता नहीं, इस जन्म का संग था हमारा,
मैंने चाहा, पर तुमने कभी ना समझना चाहा l
अपना घोंसला छोड़ कर चिड़िया कब आबाद हुई है,
खुले आसमां के नीचे वो हरपल बरबाद हुई है l
अपनी खुशियाँ वह घोंसले में ही पाती है,
जहाँ दुखी होने पर भी वह खुशी के गीत गाती है l