Khoobsurat alfaazon ka safar.....
दुःखी तो हम रोज़ होते हैं
लेकिन ये दुःख जब
ज़्यादा बढ़ जाता है तब
ज़ख्मों से खून की जगह
शब्द टपकने लगते हैं।
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