बुधवार, 14 जुलाई 2021

अंधेरी तन्हा

अंधेरी तन्हा रातों में जब

आँखें तकिया भिगोती हैं

हाथ अनायास ही

माफ़ी के लिए उठ जाते हैं

और दिल गिड़गिड़ाता है

और कहता है कि माफ़ कर दो

जाने कितने दिल तोड़े

और पाँव तले रौंदे होंगे

जाने कितने दिल तोड़े

कितनी आत्मा दुखायी होंगी

जो आज ये सज़ा मुकरर्र 

की है उसने मेरे लिए!

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