ख़ुद को तकलीफ में देखकर अक्सर दिल को तकलीफ़ हुई
नागवार गुज़री वो सभी बातें जो भी मेरे साथ बीती और हुई
क्या कहते, क्या कह कर समझाते इस नादान दिल को
कि बाग़ तो उजड़ना ही था जब ख़ुद माली ही बीमार था
ए दिल जानती हूँ कि इन दिनों तू मुझसे नाख़ुश है मग़र
इसका इलाज़ यही है कि अब तू छोड़ दे मुझे मेरे हाल पर