Khoobsurat alfaazon ka safar.....
मुझे बेइंतेहा मोहब्बत थी उससे, मग़र शायद उसे ना थी
पीछा छुड़ाने के, फ़ासले बनाने के लाख बहाने ढूंढ रहा था
मैंने अपना हाथ छुड़ा कर, उससे दूरी बना कर फ़ैसला कर लिया
ख़ुद ही उसकी मुश्क़िलों को आसान कर दिया, आज़ाद कर दिया
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