शुक्रवार, 10 दिसंबर 2021

" ज़िंदगी के हाथों "

जब मैं पानी में डूब रही थी तो बहुत कोशिश करती थी, 

ख़ुद को बचाने की, लाख कोशिश करती थी, हाथ पैर मारती थी,


मग़र वक़्त के तूफ़ान और थपेडों से बच नहीं सकी थी, 

अब ख़ुद को लहरों के हवाले छोड़ दिया है, वो जहाँ ले जाएँ


शायद कुछ अच्छा हो, क्या पता ऐसे ही किनारा मिले

अब तो ज़िंदगी के हाथों खिलौना सी लगती हूँ वो जहाँ ले जाए


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