टूटे दिल का नाता है टूटे दिल और उसकी व्यथा से
दर्द टपकता है उसकी दिखती रिसती दरारों से
जो भर नहीं सकती किसी दवा-ओ-मरहम से
दर्द कोई बयाँ नहीं कर सकता कहे या कलम से
टूटे दिल की व्यथा समझेगा वही जो ख़ुद टूटा हो दिल से
टूटे दिल का नाता है टूटे दिल और उसकी व्यथा से
दर्द टपकता है उसकी दिखती रिसती दरारों से
जो भर नहीं सकती किसी दवा-ओ-मरहम से
दर्द कोई बयाँ नहीं कर सकता कहे या कलम से
टूटे दिल की व्यथा समझेगा वही जो ख़ुद टूटा हो दिल से
ना थक कर बैठना है
ना उदासी में डूबना है
हिम्मत नहीं हारना है
लाख तूफ़ां आयें बेशक़
जज़्बा है ऐसा कि बस
अब कुछ कर दिखाना है
आधा चाँद मेरा आधा तुम्हारा
आधा इश्क़ मेरा आधा तुम्हारा
बगिया के आधे फूल मेरे आधे तुम्हारे
आधी खुशियाँ मेरी आधी तुम्हारी
आधे दुःख मेरे आधे तुम्हारे
आधी रचना मेरी आधी तुम्हारी
आधी कोशिश मेरी आधी तुम्हारी
आधी प्यास मेरी आधी तुम्हारी
आधी चाहत मेरी आधी तुम्हारी
आधी तड़प मेरी आधी तुम्हारी
आधी ज़िंदगी मेरी आधी तुम्हारी
देख लो तुम, बांटा है सब मैंने आधा आधा
जो मिले हम तभी होगा सब पूरा
नहीं तो रहेगा ज़िंदगी भर अधूरा
फ़िर आधी मैं और आधे तुम
इतना दु:ख मिला हमें कि धैर्य खो गए
सुख की प्रतीक्षा में अधीर हो गए l
सहारा देने का वचन तो दिया कुछ लोगों ने
पर देकर वचन वे लौटे नहीं घर जो गए l
मन में तो जगी आशा कई बार पर
बुझ गए दीये सब आशाओं के
तो फिर से हम वही पर सो गए
सुख की प्रतीक्षा में .......l
जाने कहाँ से शुरूआत हुई इनकी
जाने कहाँ खतम होंगी
बचपन में ना सुना था नाम जिनका
जाने कब ये मेरे पास आती गयीं
एक एक करके अनंत हो गयी
और जिनका अंत ना हुआ
वो चिंताएँ हो गयीं l
आज फिर एक बार उसी ख़ामोशी ने
उसी ख़ामोशी से मेरा दामन पकड़ा
शायद शब्दों की कमी पड़ गयी
तुम्हें समझाने को
तुम चुप रहकर भी कुछ कह गए
उसी ख़ामोशी में
एक पल के लिए ख़ामोश हो गयी
भरी ज़िंदगी उस ख़ामोशी में l
तेरी यादों के दीये चाँद हाथों में लिए
सोचते रहे रात भर
बिना पलक झपकाए एक पल भर
बैठा हूँ तेरी राह ए गुज़र पर
तू आये शायद इधर
निग़ाहें ठहरी है उसी रास्ते पर
तुझे दिल नहीं चाँद चाहिए पर
तेरी नज़र टिकी है उस पर
चाँद की चाहत है तुझे
अजब तेरी चाहत है भंवर
तू दागदार चाँद की दीवानी है मग़र
तुझे पाक साफ़ दिल की नहीं कोई क़दर l
दिल के आईने को फूलों से सजा रखा है
दिल में तेरी ही सूरत मूरत को बिठा रखा है
तू माने या ना माने तेरे लिए ही अब तक बचा रखा है
तूने भी ना जाने क्या ठान रखा है किसके लिए
अपना दिल अभी तक अपने पास छिपा कर रखा है
कुछ डरी हुई सी आहें हैं
कुछ सहमी हुई सी चाहतें हैं
कैसे कहें कि तुमसे कितनी मोहब्बतें हैं
रिश्ता पलों का नहीं जन्मों का है तुमसे
रिश्ता अधूरा रहने की आहें हैं
रात भर नींद नहीं आती और जलती आहें हैं
डर है कहीं खो ना दूँ तुम्हें
सहमती हूँ कैसे रहूंगी तुम बिन
रात के काले गहरे अंधियारे में
जब सिसकती हैं ये आहें
आवाज़ नहीं करती लेकिन
ये कलेज़ा चीर देती हैं रात का
कैसे बताएँ तुम्हें कि कितने
खंज़र जिग़र के पार होते हैं
किस से कहें किस से नहीं यही उहापोह आहें हैं
रिश्ता जन्मों का नहीं तोड़ना है
कैसे कहूँ तुमसे कितनी चाहतें हैं
पूरी नहीं हुई जो चाहतें वही तो मेरी आहें हैं
अंधेरी तन्हा रातों में जब
आँखें तकिया भिगोती हैं
हाथ अनायास ही
माफ़ी के लिए उठ जाते हैं
और दिल गिड़गिड़ाता है
और कहता है कि माफ़ कर दो
जाने कितने दिल तोड़े
और पाँव तले रौंदे होंगे
जाने कितने दिल तोड़े
कितनी आत्मा दुखायी होंगी
जो आज ये सज़ा मुकरर्र
की है उसने मेरे लिए!
सुबह सुबह जब उसने ली अंगड़ाई
गालों पर उसके जैसे छाई अरुणाई
आदित्य ने गालों से जुल्फ़ें सिमटाई
चहुँ और लालिमा अपनी है बिखराई
देख पवन भी उन्मुक्त गगन में मानो
उसकी ज़ुल्फ़ों की छटा ने घटा फैलाई
हैरान हूँ मैं ये सोचकर कि मालिक ने
क़ायनात् कितनी फ़ुर्सत से है बनाई
जाने क्या उसके मन में समाई और
उसने ये प्रकृति हमारे लिए बनाई
सबसे अलग सबसे जुदा थी
मौन अलग और बोल अलग
ख़ुद की हर बात पे फ़िदा थी
तुम नहीं समझोगे
तुमने देखा ही कहाँ
कभी मेरी तरफ़ मुड़कर
देखते तो पाते मुझे अलग
औरों की तरह मुझे भी
ग़लत समझ लिया तुमने
अब वक़्त नहीं है
समझने समझाने का
अब जियो तुम अलग
और मैं अलग
जो चला जाता है वो वापस क्यों नहीं आता
उसका मन नहीं करता या आया नहीं जाता
जाने वालों के बिना हमसे रहा नहीं जाता
कैसे कहें कि उनके बिना जिया नहीं जाता
जाने वाले हो सके तो लौट कर आना
ऐसे भी कोई जाता है कि जाने के बाद
दोबारा लौट कर आया नहीं जाता