आस उसके मिलने की मत पाल अब और ए दिल
वो नहीं है, तेरी मोहब्बत और वफ़ा के भी काबिल
बहने दे उसे उसकी रवानगी, झूठे इश्क़ और मौजों में
कभी तो आँख खुलेगी, होगा सवेरा, जागेगा अंधेरों से
मग़र तब तक तो ये खुशियाँ, ये लम्हें कई दरिया पार कर चुके होंगे
तब तुम क्या करोगे, कैसे रोकोगे, तब तक तुम सब गँवा चुके होंगे
बेहद खास, बेशकीमती थे वो पल जो तुमने ख़ुद गवां दिए
अब कैसे पाओगे वापिस, हम तो तेरी गालियाँ छोड़ दिए
अब यूँ हाथ ना मलो, कुछ काम ना आयेगा, टूटकर बिखर जाओगे
जाओ बनाओ कोई और आशियाँ अपना, मग़र क्या बना पाओगे?