ख़त तेरे नाम के आज भी दबे हैं, डायरी में मेरी
जिन्हें तुमने कभी खोला भी नहीं, अमानत हैं तेरी
मैंने हिफ़ाज़त से रखे हैं संभाल कर निशानी तेरी
तेरी नफ़रत मेरी मोहब्बत की, कहानी है तेरी मेरी
बैठे हैं चुपचाप पुराने पन्नों में दबे, डरे सहमे से
जाने कब पड़ जाए बिछड़ना मुझसे, कुछ ना कहते
तुम ना सही, कम से कम ये तो वफ़ादार हैं मेरे
तुम ना लगे मग़र ये रहते लगे अक्सर सीने से मेरे
ना कोई ग़म, ना करते कभी कोई शिकायत मुझसे
बस एक बेनाम सा रिश्ता कोई निभाते आये हैं मुझसे
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