वफ़ा करते करते सनम हम रुसवा सरेआम हो गए
मेरे इश्क़ और तेरी बेरूखी के किस्से तमाम हो गए
इश्क़ नहीं ना सही, झूठा ही सही, मेरा दिल तो रख लेती
चाहत में लिखे, जो ख़त उन्हें एक बार होंठों से चूम ही लेती
ज़िंदगी भर का नहीं दे सकती ना सही, चार कदम संग चल लेती
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