शुक्रवार, 10 दिसंबर 2021

" दिल का दर्द "

बहुत बार सोचती हूँ कि

अपने दिल को ख़ाली कर दूँ

इस दर्द को बाहर निकाल कर उड़ेल कर कहीं छिपा दूँ

मग़र इसका भी कम्बख्त मेरे सिवा कोई वफ़ादार नहीं


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