ज़िंदगी के सफ़र में बेशक़ हमारे रास्ते अलग हैं
तन्हा खड़े हैं, आज तुम अलग और मैं अलग हैं
ये राहें ज़िंदगी की छोटी पथरीली और संकरी हैं
कैसे कटेंगे ये रास्ते, जब हम तुम अलग चले हैं
अपने से ना अब तुम हो अपने से ना अब हम हैं
कैसी आज़माइश है, तुझसे ना जुड़े से अब हम हैं
मोहब्बत के वो मोड़ चौराहें बहुत पीछे छूटे सब हैं
तेरी गलियों के वो चौराहे अब भी सुनसान चुप हैं
पूछते हैं कि कहाँ गए वो लम्हें,आँखों में ना कोई गम हैं
बड़ी आरज़ू थी, तेरा हाथ संग हो, अब तो सिर्फ़ गम हैं
काश वो पल मोहब्बत वाले फ़िर से लौट आते कहीं से
तुम भी मुस्कुराते आँखों में प्यार लिए लौट आते कहीं से
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