तू चल ले कहीं तक भी बेवफ़ा सनम
लौट कर तो मेरे पास ही आना है तुझे
बहती लहरों संग जो तू हो चला है
मचलती धाराएँ तेरी मंज़िल नहीं है
आना तो है तुझे इस पार, इसी किनारे पर
तू खूब भटक ज़िंदगी की सुनसान राह पर
जब तेरा दिल भाग भाग कर थक जाए और
दुनिया की झूठी रस्मों से तेरा दिल भर जाए
तब तुझे ए सनम उस मुश्क़िल भँवर में उम्मीद लिए
नैया पार लगाने के लिए मैं ही मिलूँगी, अपनी बाहें फैलाये
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