Khoobsurat alfaazon ka safar.....
सरिताओं का सागर
गहरा उमड़ा था
जब देखा था तुमने
स्नेहिल आँखों से
चाहती थी डूब जाऊँ उनमें
परंतु नहीं पा सकी
तुम्हारा वह अस्तित्व
फ़िर प्रतीक्षारत हूँ
इसलिए आज तक
शायद मिलोगे कभी तो
स्वप्न में या ख्यालों में
एक अस्पष्ट-सी
परछाईं बनकर!
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