गुरुवार, 9 दिसंबर 2021

" काश! वक़्त रुक जाता "

बहुत प्यारे लम्हें थे वो,

काश! वक़्त रुक जाता, 

जिनमें हम तुम साथ थे, 

ना तुम्हें कोई शिकवा था

ना मुझे कोई शिकायत थी

मग़र जाने क्या हुआ अचानक

तुम बिन बात ही रूठ गए

लाख मना लूँ, जानती हूँ

वापस आने के लिए नहीं गए हो!!!


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