शुक्रवार, 10 दिसंबर 2021

" दर्द की छुट्टी "

इस दर्द को भी कभी दर्द होना चाहिए

कम्बख्त कभी तो ये भी छुट्टी पर जाए


हर वक़्त तैनात रहता है हटता ही नहीं

बढ़ता ही रहता, कभी कम होता ही नहीं


बस चले तो इसे अनिश्चित काल के लिए

एक लंबी छुट्टी पर कहीं दूर भेज दिया जाए


ना ख़ुद चैन से रहता है ना हमें जीने देता है

सुकून एक पल को भी सीने में नहीं रहने देता है


घाव हर रोज़ नया कोई देता और पुराने कुरेदता रहता है

दिल और दिमाग़ दोनों पर हर वक़्त यही छाया रहता है


लगता है इस दर्द की शादी करवा कर गृहस्थी बसानी पड़ेगी

तभी इसे पता चलेगा, जब मुसीबत ख़ुद के गले में आ पड़ेगी


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